Thursday, June 20, 2019

अगले साल आ सकता है जियो का IPO

नई दिल्ली लिमिटेड (RIL) अपनी टेलिकॉम यूनिट रिलायंस इंफोकॉम का 2020 की दूसरी छमाही में लाने की संभावना तलाश रही है। हालांकि, रिलायंस की पहली प्रायरिटी दो इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) के लिए इनवेस्टर्स हासिल करने की होगी। ये कंपनी के टावर और फाइबर एसेट्स के मालिक हैं। सूत्रों ने बताया कि कंपनी के सीनियर एग्जिक्युटिव्स, बैंकर्स और कंसल्टेंट्स के बीच पिछले एक महीने में कई मीटिंग हुई हैं। इससे IPO लाने की योजना का संकेत मिल रहा है। एक सूत्र ने कहा, 'जियो ने बैंकर्स को बताया है कि उसे सब्सक्राइबर्स के लिहाज से जल्द ही राइवल कंपनियों से आगे निकलने की उम्मीद है और इससे उसकी आमदनी भी बढ़ेगी। कंपनी अपना फाइबर टु होम नेटवर्क भी लॉन्च कर रही है। इससे कंपनी का IPO सफल रहने की संभावना बढ़ जाएगी।' एक अन्य सूत्र ने कहा कि जियो के घटते एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) को लेकर आशंका जताई गई है। जनवरी-मार्च क्वॉर्टर में जियो का ARPU लगातार पांचवें महीने गिरकर 126.2 रुपये रह गया था। इससे पिछले क्वॉर्टर में यह 131.7 रुपये पर था। इसकी तुलना में भारती एयरटेल और का ARPU जियो से कम है, लेकिन उसमें लगातार सुधार हो रहा है। इसका मतलब यह है कि अधिक टैरिफ के बावजूद सब्सक्राइबर्स दोनों बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के साथ बने हुए हैं। इस बारे में ईमेल से पूछे गए सवालों का जियो ने जवाब नहीं दिया। मार्च क्वॉर्टर में प्रॉफिट दर्ज करने वाली जियो अकेली टेलिकॉम कंपनी थी। इसका मुनाफा एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 65 पर्सेंट और रेवेन्यू 56 पर्सेंट बढ़ा था, लेकिन तिमाही दर तिमाही के लिहाज से प्रॉफिट में वृद्धि 1 पर्सेंट की थी। जियो के चौथे क्वॉर्टर के रिजल्ट के बाद ब्रोकरेज फर्म IIFL ने इसकी एंटरप्राइज वैल्यू लगभग 6.3 अरब डॉलर (4.41 लाख करोड़ रुपये) होने का अनुमान दिया था। इसकी प्रतिद्वंद्वी भारती एयरटेल का मार्केट कैप गुरुवार को ट्रेड बंद होने के समय लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये का था। बीएसई पर भारती का शेयर 2.4 पर्सेंट की तेजी के साथ 350 रुपये पर बंद हुआ। टावर और फाइबर ऑपरेशंस के डीमर्जर और 1.07 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को दो यूनिट्स पर ट्रांसफर करने के बाद जियो का नेट डेट मार्च के अंत में लगभग 67,000 करोड़ रुपये था। जियो ने सितंबर 2016 में टेलिकॉम मार्केट में एंट्री की थी। उसने बेहद सस्ते टैरिफ प्लान के जरिए अपने सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से बढ़ाई है। इससे पुरानी टेलिकॉम कंपनियों को भी टैरिफ घटाना पड़ा था, जिसका असर उनके रेवेन्यू और प्रॉफिट पर पड़ रहा है।


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