Wednesday, October 28, 2020

तेजी से पटरी पर लौट रही इकॉनमी, निवेश का सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन बनेगा भारत: मोदी

नई दिल्ली () ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से पटरी पर लौट रही है। हालिया सुधारवादी कदम दुनिया को संकेत हैं कि नया भारत बाजार की ताकतों पर भरोसा करता है। यह निवेश का सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन (Favourite investment destination) बनेगा। कोरोना के सामने आने का बाद पहले विस्तृत इंटरव्यू में प्रधानमंत्री का प्रमुख जोर इस महामारी के खिलाफ अपनी सरकार की जंग और देश की इकॉनमी पर रहा। चीन का नाम न लेते हुए उन्होंने कहा कि महामारी के बाद दुनिया में भारत मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन की व्यवस्था में अग्रणी देशों में शुमार होगा। भारत दूसरे देशों के नुकसान से फायदा उठाने में यकीन नहीं रखता है, लेकिन भारत अपने लोकतंत्र, जनसंख्या और पैदा होने वाली डिमांड से इस मुकाम को हासिल करेगा। संभल रही है इकॉनमी पीएम में संभलती हुई अर्थव्यवस्था पर संतोष जताया और कहा कि इकॉनमी के सभी मानदंड यही दिखाते हैं कि भारत रिकवरी की राह पर है। खेती, विदेशी निवेश, मैन्युफैक्चरिंग में तेजी, गाड़ियों की बिक्री में उछाल का उदाहरण देखिए। भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ में ज्यादा लोगों का जुड़ना दिखा रहा है कि जॉब मार्केट में तेजी आई है। मुझे लगता है कि निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बूस्ट विकास की प्रेरक शक्ति बनेगा। हमारे सुधारवादी कदम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत निवेश की सबसे अहम जगह बने। खेती कानूनों के विरोध पर पीएम ने कहा कि कई एक्सपर्ट्स ने इन सुधारों की लंबे समय से पैरवी की है। मुद्दा यह है कि विपक्ष नहीं चाहता है कि इनका श्रेय हमें मिले। नए राहत पैकेज पर उन्होंने कहा कि हम देखेंगे कि इकॉनमी को मजबूत बनाने वाले सभी कदम समय-समय पर उठते रहें। कोरोना पर विपक्ष की आलोचनाओं को उन्होंने सिरे से खारिज किया और कहा कि आप (मामलों की) संख्या देखिए, जबकि मार्च में कैसी बड़ी आशंकाएं जताई गई थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आबादी के सबसे प्रभावित लोगों को राहत के कदम तुरंत उठाए गए हैं, जबकि पहले बड़ी आपदाओं में भी करप्शन के कारण गरीबों तक समय से राहत नहीं पहुंच पाती थी। जीएसटी कंपनसेशनराज्यों को जीएसटी कंपनसेशन पर उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि राज्यों की चिंताओं पर हमारी सरकार संवेदनशील नहीं है। जब यूपीए के समय वैट आया तो उन्होंने राज्यों के रेवेन्यू के नुकसान की भरपाई का वादा किया था, लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ। उन्होंने लगातार पांच साल तक राज्यों को नुकसान की भरपाई नहीं की थी।


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