Saturday, October 24, 2020

उत्तर प्रदेश में बनेगा पहला डेटा सेंटर पार्क, 10 हजार करोड़ का आएगा निवेश, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

लखनऊ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब 600 करोड़ रुपये के निवेश से राज्य में पहला बनाने की परियोजना को मंजूरी दी है। मुंबई का हीरानंदानी समूह ग्रेटर नोएडा में करीब 20 एकड़ भूमि पर इसे बनाएगा। यह परियोजना जहां युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा अवसर लेकर आएगी, वहीं अन्य जगहों पर काम कर रही आईटी कंपनियों को अपना कारोबार करने में खासी मदद मिलेगी। राज्य का पहला हाईटेक डेटा सेंटर पार्क एक सरकारी प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस यह अपनी तरह का पहला डेटा सेंटर पार्क होगा। राज्य के विकास और रोजगार देने वाली इस परियोजना के लिये मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देकर जमीन की व्यवस्था कर दी है। मुंबई के रियल एस्टेट डिवेलपर हीरानंदानी समूह ने मुंबई, चेन्नई व हैदराबाद में इस तरह के डेटा सेंटर बनाने के बाद अब उत्तर प्रदेश का रुख किया है। उन्होंने बताया कि डेटा सेंटर को लेकर अन्य कई कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। 10 हजार करोड़ का आएगा निवेश डेटा सेंटर बनने के बाद दूसरे राज्यों में संचालित हो रही कंपनियों को भी प्रदेश से जोड़ा जा सकेगा। डेटा सेंटर के क्षेत्र में निवेश के लिए रैक बैंक, अडानी समूह व अन्य कंपनियों ने 10,000 करोड़ रुपये के भारी भरकम निवेश का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है। डेटा सेंटर में बिजली की खपत ज्यादा होती है, इसलिए ओपेन एक्सेस से डेटा सेंटर पार्क को बिजली दी जाएगी। प्रवक्ता ने बताया, 'अभी पर्याप्त डेटा सेंटर न होने के कारण उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम हिस्सों के डेटा विदेशों में रखे जाते हैं। इसके बनने के बाद हम अपने देश में ही अपना डेटा सुरक्षित रख सकेंगे। पूरे देश में डेटा सेंटर पार्क बनाने की कवायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर कुछ समय से देश भर में इस तरह के डेटा सेंटर बनाने की योजना पर काम हो रहा है।' उन्होंने बताया कि राज्य सरकार डेटा सेंटर के क्षेत्र में व्यापक संभावनाओं को देखते हुए इसके लिए अलग नीति भी बना रही है। प्रवक्ता ने बताया कि डेटा सेंटर, नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर सर्वर का एक बड़ा समूह है। बड़ी मात्रा में डेटा भंडारण, प्रोसेसिंग व वितरण के लिए कंपनियों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है। उत्तर प्रदेश में सोशल मीडिया प्लेटफार्म मसलन फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि के करोड़ों उपभोक्ता हैं और इन उपयोगकर्ताओं से जुड़ा डेटा सुरक्षित रखना महंगा व मुश्किल काम रहता है। इसके अलावा बैंकिंग, रीटेल व्यापार, स्वास्थ्य सेवा, यात्रा, पर्यटन और आधार कार्ड आदि का डेटा भी खासा अहम है।


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